
छापा कला की दुनिया में श्याम शर्मा आज किसी परिचय के मुहताज नहीं हैं। पचास से भी ज्यादा वर्षों से उनकी कलाकृतियां कला और समाज को समृद्ध करती रहीं हैं। आज भी कर रहीं हैं। कला और साहित्य से जुड़े विषयों पर उनकी लगभग दर्जन भर किताबें प्रकाशित हो चुकीं हैं। वह एक कवि भी हैं। देश विदेश में उन्हें कई महत्वपूर्ण पुरस्कार एवं सम्मान मिल चुके हैं। भारतवर्ष में दिया जानेवाला पद्मश्री उनमें से एक है।

श्याम शर्मा का पूरा नाम है श्याम सुंदर शर्मा। उनका जन्म 8 फरवरी 1941 में मथुरा उत्तर प्रदेश में हुआ। छापा कला का प्रभाव उनके जीवन के शुरुआती दिनों में पड़ गया था। उनके पिता का बरेली में एक प्रिंटिंग प्रेस था। उन्हें अपने नाना से भी इस कला की बारीकियों को सीखने का मौका मिला। बाद में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से इसकी विधिवत शिक्षा प्राप्त की।

एक बार पूछे जाने पर कि छापा कला में आपकी रुचि कब और कैसे बढ़ी, उन्होंने कहा: “मेरे पिता के प्रिंटिंग प्रेस में छापने का काम मशीन से किया जाता था, पर लखनऊ के कला और शिल्प कालेज में वही चीज हम हाथों से किया करते थे, जिस कारण मैं इस कला का मुरीद बन गया।”

श्याम शर्मा ने अपने कैरियर की शुरुआत 1966 में पटना कला और शिल्प कालेज से एक व्याख्याता के रूप में किया। बाद में इसी कालेज के छापा विभाग के विभागाध्यक्ष बने और फिर कालेज के प्रिंसिपल। पटना आर्ट कालेज में शिक्षण की यात्रा को जारी रखते हुए उन्होंने छापा कला की दुनिया में एक से बढ़कर एक कलाकृतियों की रचना की। आज एक अनूठे छापा कलाकार के रूप में उनका नाम अपने आप में एक पहचान है, देश-विदेश सभी जगहों पर। सौ से भी अधिक एकल एवं सामूहिक प्रदर्शनियों में उनकी कृतियों की सहभागिता रही है। एक कलाकार के रूप में जिन देशों की उन्होंने यात्रा की या जहां उनकी कलाकृतियों का प्रदर्शन हुआ उनमें से कुछ के नाम हैं फिनलैंड, नेपाल, युगोस्लाविया, अमरीका, जापान, निदरलैंड, तुर्की, ओमान, मिश्र। वह ललित कला अकादमी के जेनेरल कांउसिल के सदस्य एवं नैशनल मॉडर्न आर्ट गैलरी दिल्ली की सलाहकार समिति के चेयरमैन रह चुके हैं।
गांधी उनकी रचनाओं में बार बार प्रकट होते हैं।

एक छापा कलाकार होने के साथ साथ श्याम शर्मा एक लेखक, कला समीक्षक एवं कवि भी हैं। उनके द्वारा लिखे गए एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकीं हैं। उनकी कविताओं के संग्रह का शीर्षक है सफेद सांप। स्याह, देखा देखी बात उनके नाटक हैं। कला और दर्शन पर उनकी किताबों के शीर्षक हैं गांधी और सूक्तियां, काष्ठ छापा कला, चित्रकला और बिहार, पटना क़लम इत्यादि।

कला को हमेशा समाज से जोड़ने और दोनों के प्रति समर्पित रहने वाले श्याम शर्मा अपने रचना संसार में सतत् प्रयत्नशील रहते हैं। उन्हें कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। उनको दिए गए कुछ महत्वपूर्ण पुरस्कार हैं ललित कला अकादमी प्रदत्त राष्ट्रीय पुरस्कार, भारत सरकार की ओर से दिया गया पद्मश्री एवं नीदरलैंड में मिला इन्टरनैशनल प्रिंट बायेनियल।
