शीला राय शर्मा की खिड़की

इन दिनों मेरी किताब है शीला राय शर्मा की ‘खिड़की’। एक कहानी संग्रह। हाल में आई है प्रभात प्रकाशन से। इसमें एक से बढ़कर एक कहानियों के सुंदर नमूने हैं। और मौजूद हैं इसमें जीवन और समाज के तेजी से बदलते परिवेश की झलकियां। कहानियों को पढ़ते हुए लगता है कि परिवार, देश और दुनियाContinue reading “शीला राय शर्मा की खिड़की”

घने अन्धकार में खुलती खिड़की: ईरानी स्त्रियों के लोकतांत्रिक संघर्ष की दास्तां

इन दिनों मेरी किताब है लेखक अनुवादक यादवेन्द्र की घने अन्धकार में खुलती खिड़की। इसी वर्ष सेतु से प्रकाशित हुई है। यह पुस्तक ईरान में महिलाओं के अधिकारों के हनन के विरोध में लगातार उठतीं आवाजों का एक संकलन है। वैसी आवाजें जो संस्मरण, चिट्ठियां, सिनेमा, कहानियां, कविताएं एवं ब्लाग्स के माध्यम से महिलाओं नेContinue reading “घने अन्धकार में खुलती खिड़की: ईरानी स्त्रियों के लोकतांत्रिक संघर्ष की दास्तां”

लघु कथा

पिछले सप्ताह पटना के एक प्रमुख आॉथोपीडिक अस्पताल के आॉपरेशन थियेटर के बाहर बरामदे में मैं इंतजार कर रहा था। मेरी उंगलियां मोबाइल के स्क्रीन पर तल्लीन थीं। मेरे आसपास मेरी ही तरह कुछ और लोग अपने अपने मरीज के इंतजार में बाहर बैठे थे। कुछ मेरे साथ वाली कुर्सियों पर। और कुछ हमारे सामनेContinue reading “लघु कथा”

जतिन दास की पेंटिंग और वो कहानी

प्रसिद्ध चित्रकार जतिन दास की इस पेंटिंग को देखकर मुझे अंग्रेजी की एक कहानी याद आ गई। इसे नब्बे के दशक में मैं क्लास 12 के विद्यार्थियों को पढ़ाता था। वैसे ये पेंटिंग मेरे लिए बस एक ट्रिगर है कहानी शेयर करने के लिए। क्योंकि पेंटिंग और कहानी में कई असमानताएं भी हैं। कहानी कुछContinue reading “जतिन दास की पेंटिंग और वो कहानी”

सौर्टर साहब का घर

यह है मोकामा में हमारे घर के आगे का हिस्सा, जिसे हम बंगला कहते थे। जैसा कि आप फोटो में देख सकते हैं, हमारा बंगला एल के आकार का है और इसके आगे है खुला मैदान। इस मैदान में हमारे बचपन की कई कहानियाँ दफ्न हैं। यहाँ मैं अपने भाइयों के साथ गुल्ली डंडा, लट्टू,Continue reading “सौर्टर साहब का घर”

जगमगाते जुगनुओं की जोत: समीक्षा

जगमगाते जुगनुओं की जोत है इन दिनों मेरी किताब। विश्व के अलग अलग देशों के समकालीन कथाकारों की अनुदित कहानियों का एक बेहतरीन संकलन। अनुवादक एवं संकलन कर्ता हैं यादवेन्द्र।  पेशे से इंजीनियर और वैज्ञानिक रह चुके यादवेन्द्र मानवता और समाज  को साथ लिए आजकल विश्व साहित्य की दुनिया में विचरण करते हैं। विश्व केContinue reading “जगमगाते जुगनुओं की जोत: समीक्षा”