सौर्टर साहब का घर

यह है मोकामा में हमारे घर के आगे का हिस्सा, जिसे हम बंगला कहते थे। जैसा कि आप फोटो में देख सकते हैं, हमारा बंगला एल के आकार का है और इसके आगे है खुला मैदान। इस मैदान में हमारे बचपन की कई कहानियाँ दफ्न हैं। यहाँ मैं अपने भाइयों के साथ गुल्ली डंडा, लट्टू,Continue reading “सौर्टर साहब का घर”

चिट्ठियां रेणु की भाई बिरजू को: एक समीक्षा

फणीश्वरनाथ रेणु की चिट्ठियों का एक संकलन “चिट्ठियां रेणु की भाई बिरजू को” मुझे पिछले सप्ताह मिला। पुस्तक पिछले महीने ही प्रकाशित हुई है। मैंने जल्दी ही इसे पढ़ डाला। फिर इस पर कुछ लिखने की इच्छा होने लगी। पर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। मेरे लिए सबसे बड़ी समस्या के रूप में खड़ेContinue reading “चिट्ठियां रेणु की भाई बिरजू को: एक समीक्षा”

मैया की कहानी, मैया की जुबानी 5

शादी के तीन साल बाद मेरा गौना हुआ, 1953 में। अपने वादे के मुताबिक बाबूजी को दहेज का बाकी रकम अपने समधी को चुकाना था। वो चिन्तित रहने लगे। दहेज के लिए उन्होंने किसी तरह पैसा तो जुटा लिया पर उनकी तबियत खराब रहने लगी। उन्हें सर्दी, खांसी और बुखार की शिकायत थी। मेरी विदाईContinue reading “मैया की कहानी, मैया की जुबानी 5”

मैया की कहानी, मैया की जुबानी 8

#मैया_की_कहानी_मैया_की_जुबानी_8 बाबूजी बाबूजी पक्के गांधीवादी थे। वो स्वतन्त्रता आन्दोलन में काफी सक्रिय रहे थे। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान हमारे घर कई आन्दोलनकारी आते थे। रात के समय उनके लिए खाना बनता था। फिर बंगला(दालान) के भुसघरे(भूसा रखने की जगह) में छुपाकर उन्हें सुला दिया जाता था। उस समय मैं केवल आठ सालContinue reading “मैया की कहानी, मैया की जुबानी 8”

मैया की कहानी, मैया की जुबानी 7

उषा की मृत्यु मेरे जीवन की सबसे दुखद घटना थी। उस दिन मुझे इतना याद है कि मैं जार-बजार रोये जा रही थी और सरकार जी(सास), मेरी गोतनी (जेठानी) सभी मुझे ढाढस बंधाने की कोशिश कर रहीं थीं। मैं बार-बार रोती थी और अपने आप को कोसती थी कि मेरे साथ क्यों ऐसा क्यों होContinue reading “मैया की कहानी, मैया की जुबानी 7”

मैया की कहानी, मैया की जुबानी 6

1950-60 के आसपास भारत में शिशु मृत्यु दर काफी ज्यादा था। एक साल से कम उम्र के शिशुओं की मृत्यु सबसे ज्यादा होती थी। हमारे पड़ोस में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जिसमें किसी एक महिला के बच्चे की मृत्यु न हुई हो। हाल में मैं अपनी बड़ी दीदी के लड़के, बिनोद, से बातContinue reading “मैया की कहानी, मैया की जुबानी 6”

मैया की कहानी, मैया की जुबानी 4

शेरपुर में हमारा घर मिट्टी का था, उपर खपरैल। हमारे गांव में उस समय शायद सारे घर कच्ची दीवारों के ही थे। एक बार हमारे पड़ोस में चोरी हुई थी। चोर रात में घर के पीछे वाली दीवार में सेंध मारकर अंदर दाखिल हो गया। कच्ची दीवारों में सेंध मारना आसान होता है। सुबह उठकरContinue reading “मैया की कहानी, मैया की जुबानी 4”