जगमगाते जुगनुओं की जोत: समीक्षा

जगमगाते जुगनुओं की जोत है इन दिनों मेरी किताब। विश्व के अलग अलग देशों के समकालीन कथाकारों की अनुदित कहानियों का एक बेहतरीन संकलन। अनुवादक एवं संकलन कर्ता हैं यादवेन्द्र। 

पेशे से इंजीनियर और वैज्ञानिक रह चुके यादवेन्द्र मानवता और समाज  को साथ लिए आजकल विश्व साहित्य की दुनिया में विचरण करते हैं। विश्व के विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों से वे बातें करते हैं और उनका अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करते हैं। स्त्री केन्द्रित रचनाओं की ओर उनका विशेष झुकाव है। पिछले कुछ वर्षों में एक के बाद एक उनकी तीन कहानी संग्रह प्रकाशित हुई हैं। पहला, तंग गलियों से भी दिखता है आकाश (2018), दूसरा, स्याही की गमक (2019)। इन दोनों पुस्तकों में उन्होंने विश्व साहित्य की समकालीन महिला कथाकारों की कहानियों को शामिल किया है।

जगमगाते जुगनुओं की जोत इसी श्रृंखला में तीसरा संग्रह है, इस वर्ष अप्रैल के महीने में प्रकाशित। पहले दोनों संग्रहों की ही तरह इसमें भी दुनियां की अलग अलग भाषाओं की रोचक कहानियों को शामिल किया गया है: स्पैनिश, चाइनीज, जापानी, अंग्रेजी, बर्मी, नाईजेरियन, फिलिस्तीनी, इजराइली, सीरियन इत्यादि। पर इसकी खास बात ये है कि इसमें पुरुष लेखकों की स्त्री केन्द्रित कहानियां हैं। विषय और विधा दोनों दृष्टिकोण से यादवेन्द्र द्वारा चयनित एवं अनुदित ये कहानियां दिलचस्प हैं, उनमें विविधता है।

यादवेन्द्र के बारे में जानेमाने लेखक लीलाधर मंडलोई द्वारा ‘इस किताब की बाबत’ लिखी कुछ बातों को उद्धरित करना मैं जरूरी समझता हूं:

“यादवेन्द्र अनुवाद में सांस लेते हैं —- वे हिंदी साहित्य की जमीन पर रहते हुए विश्व साहित्य का अनुवाद करते हैं। वे अनुवाद में रमते हैं — उनका अनुवाद दृष्टि सम्पन्न है।” (उनके अनुवाद को पढ़कर ऐसा लगता है) “कि ये तो बिल्कुल हमारे अपने समाज की कथाएं हैं जो संयोग से अन्य भाषा में अवतरित हुई हैं।” 

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वैसे तो जगमगाते जुगनुओं की जोत में कहानियां एक से बढ़कर एक हैं। पर मैं यहां दो कहानियों का जिक्र करना चाहूंगा: 

पहली कहानी है काली बरसात। मसुजी अबुसे के प्रसिद्द जापानी उपन्यास ब्लैक रेन का एक अंश। 

ये एक दिल दहलाने वाली कहानी है जो हिरोशिमा के पास गांव में रह रहे एक परिवार पर केंद्रित है। परिवार के तीन सदस्यों में चाचा, चाची और उनकी एक भतीजी हैं। चाचा और चाची के कंधों पर भतीजी की शादी का बोझ है। पर शादी के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा बनकर खड़े हैं हिरोशिमा पर गिराए गए एटम बम।

असल में उनके गांव में ये अफवाह था कि बम गिरने के वक्त भतीजी यासुको एक स्कूल में काम कर रही थी और वो विकिरण से होनेवाली बीमारी का शिकार हुई थी। “जो कोई भी शादी के लिए आगे आता, गांव में पड़ोसियों से पूछताछ करने पर इस अफवाह के चलते पीछे हट जाता।” इस कारण चाचा शिमेगत्सु और चाची शिगेको काफी चिंतित रहते थे। भतीजी यासुको भी दुखी रहती थी। असल में यासुको उस दिन स्कूल नहीं गई थी। उन्हें मालूम था कि वो विकिरण से प्रभावित नहीं हुई थी। पर उनके लिए अफवाह को रोक पाना संभव नहीं था और इस कारण यासुको की शादी कहीं पक्की नहीं हो रही थी। 

कुछ दिनों बाद एक युवक का रिश्ता आया। युवक ने यासुको को पसंद कर लिया। पर इस बार चाचा शिमेगत्सु ने विशेष सावधानी बरतते हुए यासुको के स्वस्थ होने का सर्टिफिकेट उपलब्ध करवाकर शादी की बातचीत में मध्यस्थता करने वाले (अगुआ) को भिजवा दिया। लेकिन सर्टिफिकेट का प्रभाव कुछ उल्टा ही पड़ गया। उसे देखने के बाद मध्यस्थ ने हिरोशिमा में बम गिराए जाने से लेकर गांव लौटने तक यासुको कहां-कहां गई थी, उसकी पूरी जानकारी मांगी। 

यह सुनकर पहले तो यासुको काफी दुखी हो गई। फिर उसने चाचा को अपनी डायरी पढ़ने के लिए दिया। वो नियमित रूप से डायरी लिखा करती थी। डायरी में तिथिवार उसकी गतिविधियों का विवरण था। उसे पढ़ने के बाद उसके चाचा शिमेगत्सु ने तय किया कि उस डायरी की कापी वो अगुआ को भेज देगा। 

पर दिक्कत ये थी कि 9 अगस्त के अपने लेखन में यासुको ने काली बरसात का जिक्र किया था। परमाणु बम गिरने के दिन उसे गीली और काली राख के आसमान से गिरने का अनुभव हुआ था। उसे ऐसा लगा था कि जैसे किसी ने उसके शरीर पर ढ़ेर सारा कीचड़ उड़ेल दिया हो। उस काली बरसात का अनुभव उसके लिए अजीब था। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। 

अब शिमेगत्सु उधेड़बुन में पड़ गया कि 9 अगस्त के उस विवरण को वो कैसे भेजे? अगर भेजता है तो शक और अफवाह को और भी बल मिलेगा। और उस विवरण को हटाने पर अगर वो लोग मूल प्रति भी देखना चाहें तो क्या होगा? कहानी के अंत में आखिर क्या होता है? ये सब जानने के लिए पाठक को कहानी से दो दो हाथ करना पड़ेगा।

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दूसरी कहानी है सिंगापुर के ओ थियाम चिन द्वारा रचित आंख और कान। एक विवाहित जोड़ी की अद्भुत प्रेम कहानी। 

कहानी शुरू होती है शाम के समय, जब पति घर लौट कर आता है। देखता है कि घर में सब कुछ बिखरा बिखरा सा है। उखड़ा उखड़ा सा है। उसे महसूस होता है कि जरूर कुछ गड़बड़ है। फिर वह सोचने लगता है कि आज जब उसकी पत्नी डॉक्टर से मिलने गई होगी तो डॉक्टर ने क्या कहा होगा, स्तन में उसके गांठ के बारे में।

और यहीं से कहानी का फ्लैशबैक शुरू होता है जिसमें पति-पत्नी का प्रथम मिलन, उनका प्यार, शादी और एक बच्चा। शादी के बाद कैसे वह एक दूसरे पर निर्भर थे। पति था पत्नी की आंख और पत्नी उसका कान। पति बचपन से ही सुन नहीं सकता था और पत्नी की आंखों में रौशनी नहीं थी। पर दोनों का प्रेम कितना गहरा था। 

इस कहानी की विधा काफी महत्वपूर्ण है। पति के दृष्टिकोण से लिखी गई इस कहानी की शुरुआत में पाठक की उत्सुकता जगती है, घर की बिगड़ी हुई स्थिति को देखकर और फिर पत्नी की बीमारी के जिक्र से। 

इसके बाद लेखक बीमारी की बात को वहीं छोड़कर फ्लैशबैक में उनके जीवन की पुरानी घटनाओं का सुन्दर और रोचक वर्णन करता है। पाठक की उत्सुकता और बढ़ जाती है कि आखिर पत्नी की बीमारी का क्या हुआ होगा? कहानी के अंत में क्या हुआ होगा? जानने के लिए आपको कहानी को पढ़ना होगा।

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व्यक्ति और समाज के विभिन्न पहलुओं को छूती हुई जगमगाते जुगनुओं की जोत की हरेक कहानी रोचक एवं अर्थपूर्ण है। इनमें से कई विधा की दृष्टि हमें चकित भी करती हैं हिंदी के पाठक के लिए ये एक उपहार है।

जिन्हें इस पुस्तक में दिलचस्पी हो उनके लिए मैं अमेज़न पर इसके लिंक को नीचे शेयर कर रहा हूं:

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Published by Arun Jee

Arun Jee is a literary translator from Patna, India. He translates poems and short stories from English to Hindi and also from Hindi to English. His translation of a poetry collection entitled Deaf Republic by a leading contemporary Ukrainian-American poet, Ilya Kaminski, was published by Pustaknaama in August 2023. Its title in Hindi is Bahara Gantantra. His other book is on English Grammar titled Basic English Grammar, published in April 2023. It is is an outcome of his experience of teaching English over more than 35 years. Arun Jee has an experience of editing and creating articles on English Wikipedia since 2009. He did his MA in English and PhD in American literature from Patna University. He did an analysis of the novels of a post war American novelist named Mary McCarthy for his PhD

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