पिछले सप्ताह पटना के एक प्रमुख आॉथोपीडिक अस्पताल के आॉपरेशन थियेटर के बाहर बरामदे में मैं इंतजार कर रहा था। मेरी उंगलियां मोबाइल के स्क्रीन पर तल्लीन थीं। मेरे आसपास मेरी ही तरह कुछ और लोग अपने अपने मरीज के इंतजार में बाहर बैठे थे। कुछ मेरे साथ वाली कुर्सियों पर। और कुछ हमारे सामनेContinue reading “लघु कथा”
Author Archives: Arun Jee
जतिन दास की पेंटिंग और वो कहानी
प्रसिद्ध चित्रकार जतिन दास की इस पेंटिंग को देखकर मुझे अंग्रेजी की एक कहानी याद आ गई। इसे नब्बे के दशक में मैं क्लास 12 के विद्यार्थियों को पढ़ाता था। वैसे ये पेंटिंग मेरे लिए बस एक ट्रिगर है कहानी शेयर करने के लिए। क्योंकि पेंटिंग और कहानी में कई असमानताएं भी हैं। कहानी कुछContinue reading “जतिन दास की पेंटिंग और वो कहानी”
श्याम शर्मा
छापा कला की दुनिया में श्याम शर्मा आज किसी परिचय के मुहताज नहीं हैं। पचास से भी ज्यादा वर्षों से उनकी कलाकृतियां कला और समाज को समृद्ध करती रहीं हैं। आज भी कर रहीं हैं। कला और साहित्य से जुड़े विषयों पर उनकी लगभग दर्जन भर किताबें प्रकाशित हो चुकीं हैं। वह एक कवि भीContinue reading “श्याम शर्मा”
… के लिए
खुले आसमान में नृत्य करने के लिएचुम्बन और प्रेम के डर के लिएमेरी बहन, तुम्हारी बहन, हमारी बहनों के लिएसड़ी गली सोच को बदलने के लिएअपनी ग़रीबी पर शर्म करने के लिएएक सामान्य जीवन की चाहत के लिएकूड़े बीनने वाले बच्चों और उनके भविष्य के लिएतुम्हारे थोपे हुए अर्थतंत्र के लिएप्रदूषित हवा के लिएहमारी उनContinue reading “… के लिए”
Arjun Singh: an obituary
Arjun Singh, a freedom fighter, passed away on 5th November 2015 at his residence at Sri Krishnapuri Patna. He would have completed 91 just the next month, on 24 December. In a span of nine decades he witnessed, lived and contributed, in a substantial measure, to some of the historic moments of progress in BiharContinue reading “Arjun Singh: an obituary”
सौर्टर साहब का घर
यह है मोकामा में हमारे घर के आगे का हिस्सा, जिसे हम बंगला कहते थे। जैसा कि आप फोटो में देख सकते हैं, हमारा बंगला एल के आकार का है और इसके आगे है खुला मैदान। इस मैदान में हमारे बचपन की कई कहानियाँ दफ्न हैं। यहाँ मैं अपने भाइयों के साथ गुल्ली डंडा, लट्टू,Continue reading “सौर्टर साहब का घर”
जगमगाते जुगनुओं की जोत: समीक्षा
जगमगाते जुगनुओं की जोत है इन दिनों मेरी किताब। विश्व के अलग अलग देशों के समकालीन कथाकारों की अनुदित कहानियों का एक बेहतरीन संकलन। अनुवादक एवं संकलन कर्ता हैं यादवेन्द्र। पेशे से इंजीनियर और वैज्ञानिक रह चुके यादवेन्द्र मानवता और समाज को साथ लिए आजकल विश्व साहित्य की दुनिया में विचरण करते हैं। विश्व केContinue reading “जगमगाते जुगनुओं की जोत: समीक्षा”
चिट्ठियां रेणु की भाई बिरजू को: एक समीक्षा
फणीश्वरनाथ रेणु की चिट्ठियों का एक संकलन “चिट्ठियां रेणु की भाई बिरजू को” मुझे पिछले सप्ताह मिला। पुस्तक पिछले महीने ही प्रकाशित हुई है। मैंने जल्दी ही इसे पढ़ डाला। फिर इस पर कुछ लिखने की इच्छा होने लगी। पर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। मेरे लिए सबसे बड़ी समस्या के रूप में खड़ेContinue reading “चिट्ठियां रेणु की भाई बिरजू को: एक समीक्षा”
एक अफगान चींटी
एक अफगान चींटी: रूसी कविता (1983)कवि: Yevgeny Yevtushenkoरूसी से अंग्रेजी: Boris Dralyukअंग्रेजी से हिंदी: Arun Jeeसोवियत अफगान युद्ध के संदर्भ में लिखी गई कविता एक अफगान चींटीएक रूसी जवान अफगान जमीं पर मरा पड़ा थाएक मुस्लिम चींटी उसके खूंटीदार गाल पर चढ़ी—इतनी मुश्किल चढ़ाई — काफी मेहनत के बाद वोसैनिक के चेहरे तक पहुंची, उसेContinue reading “एक अफगान चींटी”
मैया की कहानी, मैया की जुबानी 5
शादी के तीन साल बाद मेरा गौना हुआ, 1953 में। अपने वादे के मुताबिक बाबूजी को दहेज का बाकी रकम अपने समधी को चुकाना था। वो चिन्तित रहने लगे। दहेज के लिए उन्होंने किसी तरह पैसा तो जुटा लिया पर उनकी तबियत खराब रहने लगी। उन्हें सर्दी, खांसी और बुखार की शिकायत थी। मेरी विदाईContinue reading “मैया की कहानी, मैया की जुबानी 5”