मेरे मन में पेरिस से जुड़ी कहानियों की होड़ मची है। एक कहानी कह रही है मुझे निकालो, तो दूसरी कह रही मुझको कहो। कल देर रात हम फ्रांस में समुद्र पर बसे एक शहर की यात्रा से लौटे। वहां के मनोरम दृश्य और उनसे जुड़ी घटनाएं मन पर हावी थीं। पर अचानक आज सुबहContinue reading “वो युवक जिसने पेरिस में अपनी शादी रचाई होगी”
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पेरिस की पहली शाम और मैं खो गया
पेरिस की हमारी ये पहली शाम थी। हमने तय किया था कि सबसे पहले हम कुछ गर्म कपड़े खरीदेंगे। फिर सेन्न नदी के तट पर घूमेंगे। पुल से वहां के ऐतिहासिक स्थलों, इमारतों और शहर की गतिविधियों का अवलोकन करेंगे। सेन्न नदी पेरिस के ठीक बीच से होकर गुजरती है। यह शहर को दो भागोंContinue reading “पेरिस की पहली शाम और मैं खो गया”
चाय (महाकाव्य) की महिमा
पिछले सप्ताह मेरे व्हाट्सअप पर एक फोटो आया, जो नीचे संलग्न है। फोटो के नीचे लिखा था: चाय (महाकाव्य) पढ़िये। मेसेज भेजा था हमारे मुहल्ले के Rajiv Ranjan Prasad ने। फोटो को देखकर लगा कि राजीव जी ने अपने यहां मुझे चाय पे बुलाया है। उसी दिन जब वे शाम को मिले तो उन्होंने ‘चायContinue reading “चाय (महाकाव्य) की महिमा”
इल्या कमिन्स्की का काव्य-लोक: प्रेमकुमार मणि
मेरे नए मित्र अरुण जी (अरुण कमल नहीं) ने इल्या कमिन्स्की और उनकी कविताओं के बारे में जब पहली बार बात की थी, तभी से मैं इस कवि के बारे में उत्सुक था। ‘मगध’ के दूसरे अंक में अरुण जी का इस कवि पर लिखा गया एक लेख और उनकी कुछ कविताओं के अनुवाद प्रकाशितContinue reading “इल्या कमिन्स्की का काव्य-लोक: प्रेमकुमार मणि”