शीला राय शर्मा की खिड़की

इन दिनों मेरी किताब है शीला राय शर्मा की ‘खिड़की’। एक कहानी संग्रह। हाल में आई है प्रभात प्रकाशन से। इसमें एक से बढ़कर एक कहानियों के सुंदर नमूने हैं। और मौजूद हैं इसमें जीवन और समाज के तेजी से बदलते परिवेश की झलकियां। कहानियों को पढ़ते हुए लगता है कि परिवार, देश और दुनियाContinue reading “शीला राय शर्मा की खिड़की”

घने अन्धकार में खुलती खिड़की: ईरानी स्त्रियों के लोकतांत्रिक संघर्ष की दास्तां

इन दिनों मेरी किताब है लेखक अनुवादक यादवेन्द्र की घने अन्धकार में खुलती खिड़की। इसी वर्ष सेतु से प्रकाशित हुई है। यह पुस्तक ईरान में महिलाओं के अधिकारों के हनन के विरोध में लगातार उठतीं आवाजों का एक संकलन है। वैसी आवाजें जो संस्मरण, चिट्ठियां, सिनेमा, कहानियां, कविताएं एवं ब्लाग्स के माध्यम से महिलाओं नेContinue reading “घने अन्धकार में खुलती खिड़की: ईरानी स्त्रियों के लोकतांत्रिक संघर्ष की दास्तां”

Parts of Speech or Word Classes

A sentence is made up of words. Words make sentences. But is it enough to know that words make sentences? Or should we know the features of the English words like their forms (if any), their functions and their arrangement in sentences. Let’s take the example of a sentence to understand this: A bird flies.Continue reading “Parts of Speech or Word Classes”

द ब्लू बुक: अमिताभ कुमार की डायरी

वर्षों पहले जब मैं गुजरात के राजकोट शहर में था, तब अमिताभ कुमार की चर्चित पुस्तक हसबैंड आॉफ द फनैटिक को पढ़ने का मौका मिला था। पटना में दिलचस्पी होने के कारण उनकी दूसरी किताब चूहों की बात (ए मैटर आॉफ रैट्स) भी पढ़ा था। इसलिए कुछ दिन पहले अमित वर्मा के, द सीन ऐंडContinue reading “द ब्लू बुक: अमिताभ कुमार की डायरी”

लघु कथा

पिछले सप्ताह पटना के एक प्रमुख आॉथोपीडिक अस्पताल के आॉपरेशन थियेटर के बाहर बरामदे में मैं इंतजार कर रहा था। मेरी उंगलियां मोबाइल के स्क्रीन पर तल्लीन थीं। मेरे आसपास मेरी ही तरह कुछ और लोग अपने अपने मरीज के इंतजार में बाहर बैठे थे। कुछ मेरे साथ वाली कुर्सियों पर। और कुछ हमारे सामनेContinue reading “लघु कथा”

श्याम शर्मा

छापा कला की दुनिया में श्याम शर्मा आज किसी परिचय के मुहताज नहीं हैं। पचास से भी ज्यादा वर्षों से उनकी कलाकृतियां कला और समाज को समृद्ध करती रहीं हैं। आज भी कर रहीं हैं। कला और साहित्य से जुड़े विषयों पर उनकी लगभग दर्जन भर किताबें प्रकाशित हो चुकीं हैं। वह एक कवि भीContinue reading “श्याम शर्मा”

मैया की कहानी, मैया की जुबानी 4

शेरपुर में हमारा घर मिट्टी का था, उपर खपरैल। हमारे गांव में उस समय शायद सारे घर कच्ची दीवारों के ही थे। एक बार हमारे पड़ोस में चोरी हुई थी। चोर रात में घर के पीछे वाली दीवार में सेंध मारकर अंदर दाखिल हो गया। कच्ची दीवारों में सेंध मारना आसान होता है। सुबह उठकरContinue reading “मैया की कहानी, मैया की जुबानी 4”

मैया की कहानी, मैया की जुबानी 1

मेरा जन्म पटना से करीब 100 किलोमीटर पूरब एक छोटे से गांव में हुआ, जिसका नाम है शेरपुर। गांव के पूर्वी छोर पर गंगा बहती है, और पश्चिमी छोर पर है दिल्ली से हावड़ा को जोड़ने वाली मुख्य रेल मार्ग। मेरे घर और रेल लाइन के बीच केवल खेत ही खेत थे। बचपन से घरContinue reading “मैया की कहानी, मैया की जुबानी 1”

गांधी की हत्या पर एक अमरीकी उपन्यासकार के विचार (1949)

“सुना तुमने, उन्होंने महात्मा को ठिकाने लगा दिया,” एक महिला सहकर्मी ने सारा लॉरेंस कॉलेज के कॉफी हाउस में खाने की मेज पर बैठते हुए कहा। बातचीत की शुरुआत करते हुए उन्होंने महात्मा शब्द को इस लहजे में कहा मानो गांधी एक ढोंगी साधु हों, एक सपेरा। “महात्मा?” एक महिला अध्यापिका ने दोहराया, अपने कांटेContinue reading “गांधी की हत्या पर एक अमरीकी उपन्यासकार के विचार (1949)”