पेरिस ओलंपिक 2024 से जुड़ा मल विसर्जन आन्दोलन

सेन नदी। फोटो क्रेडिट: अरुण जी

मल विसर्जन आन्दोलन। क्या कभी आपने इस तरह के आन्दोलन के बारे में सुना है? नहीं न। तो सुनिए। पेरिस ओलंपिक 2024 से जुड़े मल विसर्जन आन्दोलन के बारे में जो जून 2024 में अंतरराष्ट्रीय पटल पर सुर्खियों में था। खेलों के शुरू होने से ठीक एक महीने पहले।

असल में जब से ओलंपिक 2024 के पेरिस में आयोजन की घोषणा हुई तभी से एक विवाद शुरू हो गया। उस विवाद के केन्द्र में है पेरिस की सेन नदी। और ये मल विसर्जन आन्दोलन इसी नदी में होने वाली तैराकी प्रतियोगिताओं से जुड़ा है।

दो हज़ार वर्ष पुराने पेरिस शहर की शुरुआत जिस नदी के किनारे हुई उसका नाम है सेन। हालांकि शहर के बहुत सारे इलाके अब सेन के उतने पास नहीं हैं। पर आज भी ये पेरिस की शान है। शहर के शानदार, ऐतिहासिक इमारतों व सत्ता के प्रमुख गलियारों के बीचो-बीच बहती है। और अगर आप एक पर्यटक के रूप में पेरिस घूमने गए हैं, फिर तो आपको सेन से कई बार सामना होगा। इसके एक किनारे पर आइफ़िल टावर है, तो दूसरे पर लूव्र म्यूज़ियम। सात सौ साल से भी ज्यादा पुराना नौट्रे डेम चर्च नदी के बीच एक छोटे से द्वीप पर अवस्थित है।

आइफ़िल टावर। फोटो क्रेडिट: अरुण जी

पेरिस शहर के अंदर सेन नदी करीब तेरह किलोमीटर तक बहती है। भारत की गंगा नदी के मुकाबले ये छोटी है। पर बिहार की बूढ़ी गंडक से हम इसकी तुलना कर सकते हैं। शहर में इसकी न्यूनतम चौड़ाई है तीस मीटर। पर अधिकतम है दो सौ। पेरिस में इसके ऊपर 37 पुल बने हैं

फोटो क्रेडिट: अरुण जी

बीसवीं शताब्दी की शुरुआत तक लोग सेन नदी में नहाते थे। तैराकी करते थे। पर धीरे-धीरे इसमें प्रदूषण बढ़ने लगा। घरों के कचरे, मल-मूत्र वगैरह शहर में बनी पुरानी अंडरग्राउंड नालियों के द्वारा बिना किसी रुकावट के नदी में बहने लगे। औद्योगिक कचरों के फेंके जाने पर भी कोई रोक नहीं था। परिणामस्वरूप मानव मल से उत्पन्न E Coli एवं दूसरे हानिकारक बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ने लगी थी। जीव-जंतु, मछलियां सब कम होने लगे। आखिरकार सन 1923 में फ्रांस की सरकार ने सेन में नहाने व तैराकी पर प्रतिबंध लगा दिया।

प्रतिबंध लगने के बाद के वर्षों में भी कुछ ज्यादा परिवर्तन नहीं हुआ। 1970 तक पेरिस शहर का 60% कचरा नदी में बह रहा था, बिना किसी ट्रीटमेंट के। 1990 में पेरिस के उस वक्त के मेयर जेक्स शिराक (जो बाद में राष्ट्रपति बने) ने कुछ प्रयास किए। पर उसका कुछ खास असर नहीं हुआ। यहां तक कि 2017 में जब पेरिस में ओलंपिक खेलों के होने का निर्णय हुआ, तब भी हानिकारक बैक्टीरिया की मात्रा ज्यादा थी। इसीलिए 2024 की ओलंपिक तैराकी प्रतियोगिताओं को जब सेन में आयोजित कराने की घोषणा हुई तो लोग सन्न से रह गये। लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था कि इतने कम समय में पानी की अपेक्षित सफाई कैसे हो पायेगी।

खैर, 2018 में 1.5 बिलियन डॉलर (12450 करोड़ रुपए) के सफाई योजना के साथ युद्ध स्तर पर काम शुरू हुआ। पानी को जमा करने, उसे साफ करने के उपाय किए गए। पेरिस की मेयर ऐन हिडाल्गो और राष्ट्रपति मैक्रों ने विश्वास जताया कि समय पर सफाई का कार्य सम्पन्न हो जायेगा। लोगों का विश्वास जीतने के लिए दोनों ने घोषणा की कि खेलों के शुरू होने से पहले सेन के पानी में वे खुद डुबकी लगाएंगे।

उसके बाद पानी की सफाई के स्तर में थोड़ा सुधार हुआ। मछलियों की प्रजातियों की संख्या जो पहले तीन थीं, 2020 तक वे बढ़कर 30 हो गईं। पर इसके बावजूद जून 2024 तक पानी की गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ था। जून 3 से जुलाई 2 के बीच 22 दिन ऐसे थे जब हानिकारक E Coli बैक्टीरिया की मात्रा दुगुनी पाई गई।

जैसे जैसे ओलंपिक खेलों के शुरू होने की तारीख 26 जलाई एकदम नजदीक आ रहा थी, आयोजकों, अधिकारीयों, खिलाड़ीयों की चिंता बढ़ रही थी। सामान्य नागरिक भी चिंतित थे। क्योंकि हानिकारक बैक्टीरिया की मात्रा अभी भी ज्यादा थी। मेयर ऐन हिडाल्को को पानी में डुबकी लगाने की तारीख को दो बार टालना पड़ा।

इधर पेरिस में नागरिकों का एक समूह इस पूरे सफाई अभियान का शुरू से ही विरोध कर रहा है। वे इस सफाई योजना पर 150 करोड़ रुपए लगाने को फिजूलखर्ची मानते हैं। उनके अनुसार इन पैसों का उपयोग नागरिकों के हित में किसी बेहतर काम के लिए होना चाहिए।

जून के महीने में उनके विरोध ने एक अजीबोगरीब रूप धारण कर लिया। मेयर ऐन हिडाल्गो के नदी में डुबकी लगाने की तारीख 22 जून की जैसे ही घोषणा हुई, तो उन्होंने भी घोषणा की कि 23 जून को सेन नदी में वे अपने मल का विसर्जन करेंगे। इसके लिए उन्होंने एक वेबसाइट बनाकर विस्तार से बताया कि वे मल का विसर्जन कैसे और कहां करेंगे। और नदी के किस भाग में विसर्जन करने पर मल को पेरिस पहुंचने में कितना समय लगेगा। उन्होंने इसे एक आन्दोलन का रूप देकर इंटरनेट पर ट्रेंड भी करवाया। उनका उद्देश्य था सेन नदी की इस खर्चीली सफाई योजना को असफल करना। संयोग से उस दिन नदी का पानी टेस्ट में फेल हो गया और मेयर के डुबकी लगाने की तारीख टल गई। अतः विरोध कर्ताओं का मल विसर्जन भी नहीं हुआ।

17 जुलाई को मेयर ऐन हिडाल्गो सेन नदी में तैरती हुईं।
फोटो क्रेडिट: एएफपी

खैर, ओलंपिक की शुरुआत के ठीक 10 दिन पहले एक राहत की खबर आई। 17 जून को पेरिस की मेयर ऐन हिडाल्गो ने अपने वादे के अनुसार सेन नदी में प्रवेश कर अपनी तैराकी का प्रदर्शन किया। हालांकि राष्ट्रपति मैक्रों ने अभी भी अपना वादा पूरा नहीं किया है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से टेस्ट के परिणाम अनुकूल आ रहे थे। पानी की गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार हुआ है।

अब आयोजन से जुड़े लोगों का विश्वास थोड़ा बढ़ा जरूर है। पर खतरा अभी भी टला नहीं है। क्योंकि प्रतियोगिताओं के ठीक पहले अगर तेज बारिश हो गई तो कचरों की मात्रा और उसके साथ हानिकारक बैक्टीरिया का स्तर बढ़ सकता है। ऐसी स्थिति में आयोजकों को तैराकी प्रतियोगिताओं की तारीख में बदलाव करना पड़ सकता है या फिर इन प्रतियोगिताओं को किसी और जगह पर करवाना पड़ सकता है।

वैसे मल विसर्जन आन्दोलन से जुड़े लोगों की अगली रणनीति क्या होगी, ये नहीं पता।

Published by Arun Jee

Arun Jee is a literary translator from Patna, India. He translates poems and short stories from English to Hindi and also from Hindi to English. His translation of a poetry collection entitled Deaf Republic by a leading contemporary Ukrainian-American poet, Ilya Kaminski, was published by Pustaknaama in August 2023. Its title in Hindi is Bahara Gantantra. His other book is on English Grammar titled Basic English Grammar, published in April 2023. It is is an outcome of his experience of teaching English over more than 35 years. Arun Jee has an experience of editing and creating articles on English Wikipedia since 2009. He did his MA in English and PhD in American literature from Patna University. He did an analysis of the novels of a post war American novelist named Mary McCarthy for his PhD

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