
‘मां मर गई। आज। या शायद कल। मुझे पता नहीं। गांव से मेरे लिए एक टेलिग्राम आया था। लिखा था:
“मां मर गई। कल अंत्येष्टि है। आपका विश्वासी।” कुछ स्पष्ट नहीं है। मृत्यु शायद कल हुई।”
उपरोक्त पंक्तियां हैं विश्व प्रसिद्ध उपन्यासकार एलबर्ट कैमू के बहुचर्चित उपन्यास द स्ट्रेंजर की। इन्हीं पंक्तियों से उपन्यास की शुरुआत होती है। और इन्हीं से हमारा परिचय होता है इसके मुख्य किरदार मर्सो से। उसकी मां की मृत्यु की सूचना मिलती है। द स्ट्रेंजर मर्सो की ही कहानी है। इसका वाचक भी वही है।
इन शब्दों को प्रस्तुत करने के लहजे से झलकती है मर्सो के अंदर की उदासीनता, जो केवल मां तक ही सीमित नहीं है। उदासीनता उसके व्यक्तित्व का अंग है। जो बार-बार कहानी में उभरती है। समझ में नहीं आता कि आखिर कौन-सी ऐसी चीज है जो जीवन में उसे अपनी ओर खींचती है। लगता है कि जीवन को बस वह ढ़ो रहा है।
अपने प्रेम, शादी, कैरियर, दोस्ती सबके प्रति उसका रवैया समान है। गर्लफ्रेंड के समय वह समय बिताता है पर शादी के प्रस्ताव पर उसे मना कर देता है। ऐसा नहीं है कि शादी के लिए उसके पास कोई बेहतर प्रस्ताव है या उसके लिए वह प्रयासरत है। उसी तरह जब बॉस उसे ऑफिस के काम से अल्ज़ियर से पेरिस भेजना चाहता है तो वह मना कर देता है।
जीवन के थपेड़ो से बचने की कोई कोशिश भी नहीं है। बिना समझे बूझे अपने पड़ोसी के निजी झगड़ों में उलझ जाता है और एक व्यक्ति की हत्या का गुनाहगार बन जाता है।
दो खंडों में विभक्त इस काव्यात्मक उपन्यास के दूसरे खंड में पता चलेगा कि आगे उसकी जिंदगी में क्या होनेवाला है? पढ़कर बताऊंगा…