पिछले सप्ताह पटना के एक प्रमुख आॉथोपीडिक अस्पताल के आॉपरेशन थियेटर के बाहर बरामदे में मैं इंतजार कर रहा था। मेरी उंगलियां मोबाइल के स्क्रीन पर तल्लीन थीं। मेरे आसपास मेरी ही तरह कुछ और लोग अपने अपने मरीज के इंतजार में बाहर बैठे थे। कुछ मेरे साथ वाली कुर्सियों पर। और कुछ हमारे सामने वाली पर।
अचानक मेरा ध्यान दो लोगों में हो रही बातचीत पर गया।
मैंने सर उठाकर देखा कि सामने की कतार में बैठी एक महिला अपने साथ बैठे एक पुरुष को बार बार कह रही थी, “आपको शराब नहीं पीना चाहिए था … आपको शराब नहीं पीना चाहिए था”
पुरुष की तुलना में महिला की उम्र कम थी। शायद 25 से 30 के बीच की होगी। पुरुष 35 से ऊपर का लग रहा था।
वह दांत निपोरकर बार बार एक ही बात कहता, “मुझसे गलती हो गई…”
महिला ने कहा, “आपको मालूम नहीं है कि आपने कितनी बड़ी ग़लती की है?”
जिसके जवाब में पुरुष ने कहा, “मुझे मालूम है, पर मैं आपको क्या बताऊं? कल रात मेरे कुछ दोस्त मंहगी अंग्रेजी शराब लेकर मेरे पास आ गए और मुझसे रहा नहीं गया”
इतना सुनकर मेरे पास बैठे एक सज्जन भी शब्दों के उस आदान प्रदान में कूद पड़े। उन्होंने कटाक्षपूर्ण लहजे में कहा, “अरे भई, अंग्रेजी शराब और वो भी मंहगी वाली! लालच होना स्वाभाविक है।”
पर उस पुरुष के चेहरे पर शर्मिंदगी स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी।
उसने कहा, “फिर भी गलती तो मेरी ही है। मैं शराब पीकर जब रात में घर लौटा तो पत्नी मुझे बुरा भला कहने लगी। नशे की हालत में मुझे गुस्सा आ गया। और मैंने उसे पीट दिया। इसके बाद मेरी पत्नी छत से नीचे कूद गई। उसका पैर टूट गया।”
सुनकर मैं सन्न रह गया।