द ब्लू बुक: अमिताभ कुमार की डायरी

वर्षों पहले जब मैं गुजरात के राजकोट शहर में था, तब अमिताभ कुमार की चर्चित पुस्तक हसबैंड आॉफ द फनैटिक को पढ़ने का मौका मिला था। पटना में दिलचस्पी होने के कारण उनकी दूसरी किताब चूहों की बात (ए मैटर आॉफ रैट्स) भी पढ़ा था। इसलिए कुछ दिन पहले अमित वर्मा के, द सीन ऐंड द अनसीन, पर अमिताभ पर जब नजर पड़ी, तो सुनने लगा। अमित वर्मा से अंग्रेजी में उनकी बातचीत, हल्के फुल्के अंदाज में, बीच बीच में बिहारी हिंदी के साथ, काफी दिलचस्प है। सुनकर मैंने 2022 में छपी अमिताभ की पुस्तक द ब्लू बुक का ऑर्डर दे दिया।

मूल रूप से द ब्लू बुक एक डायरी है जिसमें अमिताभ ने अपने एकाकी जीवन के अनुभवों एवं विचारों को व्यक्त किया है। डायरी के स्थापित दायरे को लांघते हुए उन्होंने शब्दों के साथ-साथ चित्रकला का भी प्रयोग किया है। पर चित्र और शब्द दोनों में किसका समावेश ज्यादा है और किसका कम, या फिर किसका प्रभाव ज्यादा है, किसका कम– कहना कठिन है।


सर्वप्रथम मैं अमिताभ द्वारा उद्धृत यान जैक की पंक्तियों का उल्लेख करना चाहूंगा। इनमें जैक ने 1991 में हुए राजीव गांधी के दाह संस्कार का वर्णन किया है। उन्होंने एक सुंदर दृशयावली प्रस्तुत की है:

“His garlanded body moved on a gun carriage through a great crowd; by the river Yamuna it was raised to a pyre of sandalwood and was there consumed by flames; smoke rose into the evening sky over Delhi.”


इस वाक्य का हरेक भाग पाठक के मस्तिष्क पर एक चित्र अंकित करता है। और जैसा कि अमिताभ बताते हैं कि इसके अंतिम भाग में ऐसा लगता है कि राजीव इस धरा को छोड़कर अंबर की ओर चल पड़े हैं।

शब्दों के अलावा इस किताब में चित्रों की भरमार है। ज्यादातर अमिताभ की अपनी पेंटिंग्स हैं। इनमें से दो मैं नीचे शेयर कर रहा हूं:


अमिताभ की यह पेंटिंग 22 मई 2017 के हिन्दुस्तान टाइम्स के एक फोटो पर आधारित है। इसमें एक व्यक्ति का चेहरा और उसके शरीर का अगला भाग खून से लथपथ हैं। कुछ लोग उसे घेरकर बेरहमी से पीट रहे हैं। उन्हें शक है कि यह व्यक्ति फिरौती के गुनाह में शामिल है। पीटने वालों के पैर दिखाई पड़ रहे हैं। पिटने वाला व्यक्ति इस चित्र में जीवित है। वह बार बार कह रहा कि वह बेगुनाह है। अपने जीवन की भीख मांग रहा है। पर अंत में लोग उसे मार देते हैं।

इस पेंटिंग ने मुझे अंदर से हिला दिया। मैंने भी इसके बारे में पढ़ा था। झारखंड की यह घटना उस वक्त सुर्ख़ियों में थी।


अमिताभ ठीक ऐसी ही एक और घटना का जिक्र करते हैं, जो झारखंड में ही घटी थी और जिसमें उग्र भीड़ ने एक व्यक्ति को उसकी गाड़ी से खींचकर क्रूरतापूर्वक पीटा था। उसकी भी अस्पताल जाने के रास्ते में मृत्यु हो गई थी। वह यह भी बताते हैं कि इस अपराध के आरोपी जब बेल पर छूटकर जेल से बाहर आए तो वहां के एक नेता ने फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया। नेताजी काफी पढ़े लिखे, हार्वर्ड रिटर्न हैं। स्कूल में वे अमिताभ के सहपाठी थे। दसवीं कक्षा तक पटना के एक स्कूल में दोनों ने साथ साथ पढ़ाई की थी। पर यह कैसी विडम्बना है कि एक हत्या के आरोपियों को सम्मान प्रदान करता है और दूसरा उसी हत्या को अपने किताब में दर्ज करता है।


यह रेखाचित्र परशुराम वाघमारे का है जिस पर 2017 में जानी-मानी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या का आरोप था। इस चित्र को अमिताभ कुमार ने 2019 में बनाया था। इस संदर्भ में वे अखबार की एक रिपोर्ट के शीर्षक की ओर पाठक का ध्यान आकृष्ट करते हैं, जिसके अनुसार वाघमारे ने हत्या से मिले पैसे से अपने नाक का आपरेशन करवाया था। इसमें वे पाठक को बताना चाहते हैं कि अखबार एवं उस वक्त के ज्यादातर मीडिया संस्थान अभियुक्त के इस मानवीय पक्ष को शीर्षक से जोड़कर हत्या की गंभीरता को कम करने की कोशिश कर रहे थे।

अमिताभ कुमार की यह पुस्तक मेरी इस धारणा को भी पुष्ट करती है आपकी डायरी आनेवाले समय के लिए इतिहास का एक महत्वपूर्ण डाक्यूमेंट साबित हो सकती है। वह खुद कहते हैं:


“Keep a journal, make a mark”

©arunjee, 31.03.23

Published by Arun Jee

Arun Jee is a literary translator from Patna, India. He translates poems and short stories from English to Hindi and also from Hindi to English. His translation of a poetry collection entitled Deaf Republic by a leading contemporary Ukrainian-American poet, Ilya Kaminski, was published by Pustaknaama in August 2023. Its title in Hindi is Bahara Gantantra. His other book is on English Grammar titled Basic English Grammar, published in April 2023. It is is an outcome of his experience of teaching English over more than 35 years. Arun Jee has an experience of editing and creating articles on English Wikipedia since 2009. He did his MA in English and PhD in American literature from Patna University. He did an analysis of the novels of a post war American novelist named Mary McCarthy for his PhD

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