मछली बनाम रोज़गार

मछली बनाम रोजगार। चुनाव के इस माहौल में आजकल ये मुद्दा काफी गरम है। और मैं मछली के पक्ष में हूं। मुझे मटन, मछली, चिकन वगैरह खाना पसंद है। पर मैं इस बात से पूर्णतया सहमत हूं कि इन्हें रोज़ खाना उचित नहीं। सप्ताह में दो दिन हमें नॉनवेज खाने को विराम देना चाहिए। इसकाContinue reading “मछली बनाम रोज़गार”

अल्बर्ट कैमू के उपन्यास द स्ट्रेंजर को पढ़ते हुए

‘मां मर गई। आज। या शायद कल। मुझे पता नहीं। गांव से मेरे लिए एक टेलिग्राम आया था। लिखा था: “मां मर गई। कल अंत्येष्टि है। आपका विश्वासी।” कुछ स्पष्ट नहीं है। मृत्यु शायद कल हुई।” उपरोक्त पंक्तियां हैं विश्व प्रसिद्ध उपन्यासकार एलबर्ट कैमू के बहुचर्चित उपन्यास द स्ट्रेंजर की। इन्हीं पंक्तियों से उपन्यास कीContinue reading “अल्बर्ट कैमू के उपन्यास द स्ट्रेंजर को पढ़ते हुए”

साईकिल, सांढ़ और तोरलो नदी

साईकिल से मेरा साक्षात्कार पहली बार नानी घर में हुआ। यह साठ के दशक की बात है। तब मैं बहुत छोटा था। मेरा ननिहाल है शेरपुर। पटना से लगभग सौ किलोमीटर पूरब गंगा के किनारे। यह मोकामा पुल से लगभग दो किलोमीटर दक्षिण की ओर बसा है। जन्म से लेकर बचपन के कई वर्ष मैंनेContinue reading “साईकिल, सांढ़ और तोरलो नदी”

The Grammar of my Body: a view

I finished reading ‘The Grammar of my Body’ by Abhishek Anicca last week. And the hangover persists. The hangover of living with him in his world. It’s not the world of a book. But that of a life. The author’s life. The author calls the book ‘The Grammar of my Body’. But I should callContinue reading “The Grammar of my Body: a view”

पेरिस का ब्यूट शौमों पार्क

ब्यूटी शौमों पार्क जिसकी सुन्दरता के पीछे छुपी है उसकी कुरूपता और उसका भयावह इतिहास 19 अक्टूबर को हम पेरिस पहुंचे। शाम को करीब आठ बजे। पेरिस हवाई अड्डे पर हमारे लिए सब कुछ नया था। नयी जगह, नये लोग और नयी भाषा। हिंदी हमसे पहले ही दूर हो चुकी थी। अंग्रेजी का विकल्प अभीContinue reading “पेरिस का ब्यूट शौमों पार्क”

पेरिस यात्रा: दूसरा दिन

पेरिस में हमारा अगला पड़ाव था पौम्पिडू सेंटर। इस सेंटर के बारे में पहले से मुझे कोई जानकारी नहीं थी। मैंने जानने की कोशिश भी नहीं की थी। 19 अक्टूबर 2023 की शाम हम नई दिल्ली से 12 घंटे की उड़ान के बाद थके मांदे पेरिस पहुंचे थे। अगली सुबह हम एक पार्क गये औरContinue reading “पेरिस यात्रा: दूसरा दिन”

बड़का बाबू और उनकी पीढ़ी

अपने बेटे की शादी के सिलसिले में प्रमोद कुमार अपने गांव पहुंचे। निकट संबंधियों को आमंत्रित करना था। उनका गांव पटना से करीब 100 किलोमीटर पूरब गंगा नदी के किनारे बसा है। नाम है मोकामा। शादी पूना में हो रही थी। लड़की केरल की रहनेवाली थी। प्रमोद जी कार्ड लेकर सबसे पहले गये बड़का बाबूContinue reading “बड़का बाबू और उनकी पीढ़ी”

पेरिस ओलंपिक 2024 से जुड़ा मल विसर्जन आन्दोलन

मल विसर्जन आन्दोलन। क्या कभी आपने इस तरह के आन्दोलन के बारे में सुना है? नहीं न। तो सुनिए। पेरिस ओलंपिक 2024 से जुड़े मल विसर्जन आन्दोलन के बारे में जो जून 2024 में अंतरराष्ट्रीय पटल पर सुर्खियों में था। खेलों के शुरू होने से ठीक एक महीने पहले। असल में जब से ओलंपिक 2024Continue reading “पेरिस ओलंपिक 2024 से जुड़ा मल विसर्जन आन्दोलन”

मतदाता की डायरी

एक जून 2024 को लोकसभा चुनाव के सातवें चरण का अन्तिम दिन था। हमारे शहर पटना में मतदान का दिन। आशियाना नगर के घर में हम बस तीन लोग हैं। पिता जी, बन्दना और मैं। इनमें 93 वर्ष के पिता जी सुपर सीनियर सिटीजन हैं। बाकी दोनों भी सीनियर सिटीजन बन चुके हैं। तीनों कोContinue reading “मतदाता की डायरी”

A Man from Motihari: a book review

Yesterday I finished reading A Man from Motihari, a novel by Abdullah Khan, published recently by Penguin. I had picked up the book after going through its review in the Hindu. The novel tells the gripping tale of a man from Motihari, the birthplace of the great English author George Orwell. Motihari is a smallContinue reading “A Man from Motihari: a book review”