पटना की एक कॉलोनी में सबके अपने-अपने आम

एक दिन आशियाना नगर के चौक पर मुझे रामाश्रय सिंह गौतम मिले। पेशे से डॉक्टर हैं। उम्र में मुझसे बड़े। हमलोग उन्हें डॉ गौतम के नाम से जानते हैं। वे पार्क से लौट रहे थे। और मैं वहीं सैर के लिए जा रहा था। अच्छा संयोग था। नहीं तो प्रायः हमारी मुलाकात नहीं हो पातीContinue reading “पटना की एक कॉलोनी में सबके अपने-अपने आम”

नगर के कुत्ते

हमारे नगर में आजकल कुत्तों का प्रकोप बढ़ रहा है। हर गली में यहां आपको दो-चार मिल जाएंगे। अलग-अलग रंगों के कुत्ते। उजले, काले, लाल, चितकबरे। वैसे मैं पालतू कुत्तों की बात नहीं कर रहा। अपने मालिक के टुकड़ों पर पलने वाले उन कुत्तों की बात अलग है। प्रकोप तो नगर में उनका भी है।Continue reading “नगर के कुत्ते”

सिक्योरिटी चेक

हमारे सामान को चुपचाप ढोनेवाले सूटकेस और बैग की ऐसी दुर्गति ओह, देखकर दिल दहल गया पता नहीं उन बेचारों के साथ ही एयरपोर्ट पर बार-बार ऐसा क्यों होता है हमें तो देखकर, छूकर, टटोलकर, पूछकर छोड़ दिया गया परउन्हें एक भारी-भरकम मशीन के पास जाकर अपनी हाजिरी लगानी पड़ी देने पड़े उन्हें इस बातContinue reading “सिक्योरिटी चेक”

सोशल मीडिया का उभरता सितारा: Blue Sky

पिछले महीने मशहूर अनुवादक डेज़ी रॉकवेल ने X (ट्विटर) पर घोषणा की: अब मैं X को छोड़ रही हूं। मुझसे जुड़ने के लिए आप Blue Sky पर आ सकते हैं। मेरे कान खड़े हो गए। मन में कई सवाल उठने लगे। कि अचानक ये क्या हुआ कि डेज़ी रॉकवेल जैसी अंतर्राष्ट्रीय ख़्याति प्राप्त अनुवादक XContinue reading “सोशल मीडिया का उभरता सितारा: Blue Sky”

अल्बैर कामू का उपन्यास अजनबी

फ्रांसीसी लेखक अल्बैर कामू का बहुचर्चित उपन्यास द स्ट्रेंजर 1942 में प्रकाशित हुआ। इसके हिंदी रुपांतरण ‘अजनबी’ के अनुवादक हैं राजेन्द्र यादव। राजकमल से प्रकाशित हुई है। ‘अजनबी’ पर अपने विचार प्रस्तुत कर रही हैं बन्दना। अल्बैर कामू का उपन्यास अजनबी विश्व साहित्य के श्रेष्ठतम उपन्यासों में से एक माना जाता है। कहानी, किरदार, थीम,Continue reading “अल्बैर कामू का उपन्यास अजनबी”

लोकतंत्र के भूत, वर्तमान और भविष्य की कहानी: अरुण जी

प्रभात प्रणीत के उपन्यास ‘वैशालीनामा: लोकतंत्र की जन्मकथा’ पर प्रस्तुत है एक चर्चा। क़िताबें आपकी आलमारियों की शोभा बढ़ाती हुई अक्सर आपको लुभाती हैं। कहती हैं कि आओ मुझे देखो, मुझे खोलो, मेरी दुनिया में प्रवेश करो। कुछ किताबों को आप खोलते हैं, फिर पन्नों को पलट कर रख देते हैं। कुछ में आप प्रवेशContinue reading “लोकतंत्र के भूत, वर्तमान और भविष्य की कहानी: अरुण जी”

मछली बनाम रोज़गार

मछली बनाम रोजगार। चुनाव के इस माहौल में आजकल ये मुद्दा काफी गरम है। और मैं मछली के पक्ष में हूं। मुझे मटन, मछली, चिकन वगैरह खाना पसंद है। पर मैं इस बात से पूर्णतया सहमत हूं कि इन्हें रोज़ खाना उचित नहीं। सप्ताह में दो दिन हमें नॉनवेज खाने को विराम देना चाहिए। इसकाContinue reading “मछली बनाम रोज़गार”

अल्बर्ट कैमू के उपन्यास द स्ट्रेंजर को पढ़ते हुए

‘मां मर गई। आज। या शायद कल। मुझे पता नहीं। गांव से मेरे लिए एक टेलिग्राम आया था। लिखा था: “मां मर गई। कल अंत्येष्टि है। आपका विश्वासी।” कुछ स्पष्ट नहीं है। मृत्यु शायद कल हुई।” उपरोक्त पंक्तियां हैं विश्व प्रसिद्ध उपन्यासकार एलबर्ट कैमू के बहुचर्चित उपन्यास द स्ट्रेंजर की। इन्हीं पंक्तियों से उपन्यास कीContinue reading “अल्बर्ट कैमू के उपन्यास द स्ट्रेंजर को पढ़ते हुए”

साईकिल, सांढ़ और तोरलो नदी

साईकिल से मेरा साक्षात्कार पहली बार नानी घर में हुआ। यह साठ के दशक की बात है। तब मैं बहुत छोटा था। मेरा ननिहाल है शेरपुर। पटना से लगभग सौ किलोमीटर पूरब गंगा के किनारे। यह मोकामा पुल से लगभग दो किलोमीटर दक्षिण की ओर बसा है। जन्म से लेकर बचपन के कई वर्ष मैंनेContinue reading “साईकिल, सांढ़ और तोरलो नदी”

पेरिस का ब्यूट शौमों पार्क

ब्यूटी शौमों पार्क जिसकी सुन्दरता के पीछे छुपी है उसकी कुरूपता और उसका भयावह इतिहास 19 अक्टूबर को हम पेरिस पहुंचे। शाम को करीब आठ बजे। पेरिस हवाई अड्डे पर हमारे लिए सब कुछ नया था। नयी जगह, नये लोग और नयी भाषा। हिंदी हमसे पहले ही दूर हो चुकी थी। अंग्रेजी का विकल्प अभीContinue reading “पेरिस का ब्यूट शौमों पार्क”