लोकतंत्र के भूत, वर्तमान और भविष्य की कहानी: अरुण जी

प्रभात प्रणीत के उपन्यास ‘वैशालीनामा: लोकतंत्र की जन्मकथा’ पर प्रस्तुत है एक चर्चा। क़िताबें आपकी आलमारियों की शोभा बढ़ाती हुई अक्सर आपको लुभाती हैं। कहती हैं कि आओ मुझे देखो, मुझे खोलो, मेरी दुनिया में प्रवेश करो। कुछ किताबों को आप खोलते हैं, फिर पन्नों को पलट कर रख देते हैं। कुछ में आप प्रवेशContinue reading “लोकतंत्र के भूत, वर्तमान और भविष्य की कहानी: अरुण जी”

रेणु की कितने चौराहे: एक समीक्षा

फणीश्वर नाथ रेणु की कितने चौराहे एक प्रेरणादाई उपन्यास है। एक बालक के बड़े होने की कहानी, जिसमें परिवार, समाज और देश बराबर के भागीदार हैं। इस उपन्यास के लिए रेणु ने हमारे देश के एक महत्वपूर्ण काल खंड को चुना है। 1930-1942 का समय जब अंग्रेजों के खिलाफ आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधीContinue reading “रेणु की कितने चौराहे: एक समीक्षा”