I finished reading ‘The Grammar of my Body’ by Abhishek Anicca last week. And the hangover persists. The hangover of living with him in his world. It’s not the world of a book. But that of a life. The author’s life. The author calls the book ‘The Grammar of my Body’. But I should callContinue reading “The Grammar of my Body: a view”
Category Archives: Education
Parts of Speech or Word Classes
A sentence is made up of words. Words make sentences. But is it enough to know that words make sentences? Or should we know the features of the English words like their forms (if any), their functions and their arrangement in sentences. Let’s take the example of a sentence to understand this: A bird flies.Continue reading “Parts of Speech or Word Classes”
जतिन दास की पेंटिंग और वो कहानी
प्रसिद्ध चित्रकार जतिन दास की इस पेंटिंग को देखकर मुझे अंग्रेजी की एक कहानी याद आ गई। इसे नब्बे के दशक में मैं क्लास 12 के विद्यार्थियों को पढ़ाता था। वैसे ये पेंटिंग मेरे लिए बस एक ट्रिगर है कहानी शेयर करने के लिए। क्योंकि पेंटिंग और कहानी में कई असमानताएं भी हैं। कहानी कुछContinue reading “जतिन दास की पेंटिंग और वो कहानी”
श्याम शर्मा
छापा कला की दुनिया में श्याम शर्मा आज किसी परिचय के मुहताज नहीं हैं। पचास से भी ज्यादा वर्षों से उनकी कलाकृतियां कला और समाज को समृद्ध करती रहीं हैं। आज भी कर रहीं हैं। कला और साहित्य से जुड़े विषयों पर उनकी लगभग दर्जन भर किताबें प्रकाशित हो चुकीं हैं। वह एक कवि भीContinue reading “श्याम शर्मा”
मैया की कहानी, मैया की जुबानी 8
बाबूजी बाबूजी पक्के गांधीवादी थे। वो स्वतन्त्रता आन्दोलन में काफी सक्रिय रहे थे। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान हमारे घर कई आन्दोलनकारी आते थे। रात के समय उनके लिए खाना बनता था। फिर बंगला(दालान) के भुसघरे(भूसा रखने की जगह) में छुपाकर उन्हें सुला दिया जाता था। उस समय मैं केवल आठ साल कीContinue reading “मैया की कहानी, मैया की जुबानी 8”
मैया की कहानी, मैया की जुबानी 5
शादी के तीन साल बाद मेरा गौना हुआ, 1953 में। अपने वादे के मुताबिक बाबूजी को दहेज का बाकी रकम अपने समधी को चुकाना था। वो चिन्तित रहने लगे। दहेज के लिए उन्होंने किसी तरह पैसा तो जुटा लिया पर उनकी तबियत खराब रहने लगी। उन्हें सर्दी, खांसी और बुखार की शिकायत थी। मेरी विदाईContinue reading “मैया की कहानी, मैया की जुबानी 5”
टुकड़ों में बटी जिन्दगी: समीक्षा
– श्रीकांत को मूल रूप से मैं एक ख्यातिलब्ध पत्रकार के रूप में जानता था। उनकी किताबें, ‘मैं बिहार हूं ‘ या ‘चिट्ठियों की राजनीति ‘ को मैंने हाल ही में पढ़ा था। पर मुझे ये नहीं मालूम था कि वे आधुनिक कहानी के एक दिग्गज शिल्पकार भी हैं। उनके व्यक्तित्व के इस आयाम सेContinue reading “टुकड़ों में बटी जिन्दगी: समीक्षा”
महात्मा गांधी और मैं: समीक्षा
स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान महात्मा गांधी ने कई महत्वपूर्ण आन्दोलनों का नेतृत्व किया था और उनकी चर्चा बार-बार होती है। पर 1928 के आसपास बिहार में पर्दा प्रथा के खिलाफ उन्होंने जो आन्दोलन चलाया था, उसके बारे में शायद कम लोग जानते होंगे। मैं भी इससे वाकिफ नहीं था। पिछले सप्ताह मुझे Jagjivan Ram ParliamentaryContinue reading “महात्मा गांधी और मैं: समीक्षा”
मैया की कहानी, मैया की जुबानी 7
उषा की मृत्यु मेरे जीवन की सबसे दुखद घटना थी। उस दिन मुझे इतना याद है कि मैं जार-बजार रोये जा रही थी और सरकार जी(सास), मेरी गोतनी (जेठानी) सभी मुझे ढाढस बंधाने की कोशिश कर रहीं थीं। मैं बार-बार रोती थी और अपने आप को कोसती थी कि मेरे साथ क्यों ऐसा क्यों होContinue reading “मैया की कहानी, मैया की जुबानी 7”
मैया की कहानी, मैया की जुबानी 6
1950-60 के आसपास भारत में शिशु मृत्यु दर काफी ज्यादा था। एक साल से कम उम्र के शिशुओं की मृत्यु सबसे ज्यादा होती थी। हमारे पड़ोस में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जिसमें किसी एक महिला के बच्चे की मृत्यु न हुई हो। हाल में मैं अपनी बड़ी दीदी के लड़के, बिनोद, से बातContinue reading “मैया की कहानी, मैया की जुबानी 6”