सिक्योरिटी चेक

हमारे सामान को चुपचाप ढोनेवाले सूटकेस और बैग की ऐसी दुर्गति ओह, देखकर दिल दहल गया पता नहीं उन बेचारों के साथ ही एयरपोर्ट पर बार-बार ऐसा क्यों होता है हमें तो देखकर, छूकर, टटोलकर, पूछकर छोड़ दिया गया परउन्हें एक भारी-भरकम मशीन के पास जाकर अपनी हाजिरी लगानी पड़ी देने पड़े उन्हें इस बातContinue reading “सिक्योरिटी चेक”

सोशल मीडिया का उभरता सितारा: Blue Sky

पिछले महीने मशहूर अनुवादक डेज़ी रॉकवेल ने X (ट्विटर) पर घोषणा की: अब मैं X को छोड़ रही हूं। मुझसे जुड़ने के लिए आप Blue Sky पर आ सकते हैं। मेरे कान खड़े हो गए। मन में कई सवाल उठने लगे। कि अचानक ये क्या हुआ कि डेज़ी रॉकवेल जैसी अंतर्राष्ट्रीय ख़्याति प्राप्त अनुवादक XContinue reading “सोशल मीडिया का उभरता सितारा: Blue Sky”

अल्बैर कामू का उपन्यास अजनबी

फ्रांसीसी लेखक अल्बैर कामू का बहुचर्चित उपन्यास द स्ट्रेंजर 1942 में प्रकाशित हुआ। इसके हिंदी रुपांतरण ‘अजनबी’ के अनुवादक हैं राजेन्द्र यादव। राजकमल से प्रकाशित हुई है। ‘अजनबी’ पर अपने विचार प्रस्तुत कर रही हैं बन्दना। अल्बैर कामू का उपन्यास अजनबी विश्व साहित्य के श्रेष्ठतम उपन्यासों में से एक माना जाता है। कहानी, किरदार, थीम,Continue reading “अल्बैर कामू का उपन्यास अजनबी”

लोकतंत्र के भूत, वर्तमान और भविष्य की कहानी: अरुण जी

प्रभात प्रणीत के उपन्यास ‘वैशालीनामा: लोकतंत्र की जन्मकथा’ पर प्रस्तुत है एक चर्चा। क़िताबें आपकी आलमारियों की शोभा बढ़ाती हुई अक्सर आपको लुभाती हैं। कहती हैं कि आओ मुझे देखो, मुझे खोलो, मेरी दुनिया में प्रवेश करो। कुछ किताबों को आप खोलते हैं, फिर पन्नों को पलट कर रख देते हैं। कुछ में आप प्रवेशContinue reading “लोकतंत्र के भूत, वर्तमान और भविष्य की कहानी: अरुण जी”

मछली बनाम रोज़गार

मछली बनाम रोजगार। चुनाव के इस माहौल में आजकल ये मुद्दा काफी गरम है। और मैं मछली के पक्ष में हूं। मुझे मटन, मछली, चिकन वगैरह खाना पसंद है। पर मैं इस बात से पूर्णतया सहमत हूं कि इन्हें रोज़ खाना उचित नहीं। सप्ताह में दो दिन हमें नॉनवेज खाने को विराम देना चाहिए। इसकाContinue reading “मछली बनाम रोज़गार”

अल्बर्ट कैमू के उपन्यास द स्ट्रेंजर को पढ़ते हुए

‘मां मर गई। आज। या शायद कल। मुझे पता नहीं। गांव से मेरे लिए एक टेलिग्राम आया था। लिखा था: “मां मर गई। कल अंत्येष्टि है। आपका विश्वासी।” कुछ स्पष्ट नहीं है। मृत्यु शायद कल हुई।” उपरोक्त पंक्तियां हैं विश्व प्रसिद्ध उपन्यासकार एलबर्ट कैमू के बहुचर्चित उपन्यास द स्ट्रेंजर की। इन्हीं पंक्तियों से उपन्यास कीContinue reading “अल्बर्ट कैमू के उपन्यास द स्ट्रेंजर को पढ़ते हुए”

साईकिल, सांढ़ और तोरलो नदी

साईकिल से मेरा साक्षात्कार पहली बार नानी घर में हुआ। यह साठ के दशक की बात है। तब मैं बहुत छोटा था। मेरा ननिहाल है शेरपुर। पटना से लगभग सौ किलोमीटर पूरब गंगा के किनारे। यह मोकामा पुल से लगभग दो किलोमीटर दक्षिण की ओर बसा है। जन्म से लेकर बचपन के कई वर्ष मैंनेContinue reading “साईकिल, सांढ़ और तोरलो नदी”

वो युवक जिसने पेरिस में अपनी शादी रचाई होगी

मेरे मन में पेरिस से जुड़ी कहानियों की होड़ मची है। एक कहानी कह रही है मुझे निकालो, तो दूसरी कह रही मुझको कहो। कल देर रात हम फ्रांस में समुद्र पर बसे एक शहर की यात्रा से लौटे। वहां के मनोरम दृश्य और उनसे जुड़ी घटनाएं मन पर हावी थीं। पर अचानक आज सुबहContinue reading “वो युवक जिसने पेरिस में अपनी शादी रचाई होगी”

चाय (महाकाव्य) की महिमा

पिछले सप्ताह मेरे व्हाट्सअप पर एक फोटो आया, जो नीचे संलग्न है। फोटो के नीचे लिखा था: चाय (महाकाव्य) पढ़िये। मेसेज भेजा था हमारे मुहल्ले के Rajiv Ranjan Prasad ने। फोटो को देखकर लगा कि राजीव जी ने अपने यहां मुझे चाय पे बुलाया है। उसी दिन जब वे शाम को मिले तो उन्होंने ‘चायContinue reading “चाय (महाकाव्य) की महिमा”

बहरा गणतंत्र: पाठकों की प्रतिक्रियाएं

नरेश शर्मा मेरे मित्र अरुण जी, पूर्व प्राचार्य डीपीएस, जिन्हे मैं काफी पहले से जानता हूं। प्राचार्य और प्रोफेसर तो मेरे अनेकों मित्र हैं, पर अरुण जी थोड़ा हट कर हैं। उन्होंने एक अंग्रेजी कविता संग्रह, डेफ रिपब्लिक, का हिंदी में अनुवाद किया है। शीर्षक है बहरा गणतंत्र। अमरीकी कवि इल्या कामिंस्की के इस संग्रहContinue reading “बहरा गणतंत्र: पाठकों की प्रतिक्रियाएं”