हमारे सामान को चुपचाप ढोनेवाले सूटकेस और बैग की ऐसी दुर्गति ओह, देखकर दिल दहल गया पता नहीं उन बेचारों के साथ ही एयरपोर्ट पर बार-बार ऐसा क्यों होता है हमें तो देखकर, छूकर, टटोलकर, पूछकर छोड़ दिया गया परउन्हें एक भारी-भरकम मशीन के पास जाकर अपनी हाजिरी लगानी पड़ी देने पड़े उन्हें इस बातContinue reading “सिक्योरिटी चेक”
Category Archives: Poetry
बोकारो बसे मेरे मन में
22 दिसंबर, रविवार का दिन। सुबह सुबह मेरी नींद खुली चिड़ियों के कलरव से। उठा तो अहसास हुआ कि पटना के चिल्ल-पों से दूर मैं अपने पुराने शहर बोकारो में हूं। महेश मामू-शर्मिष्ठा मामी के घर। पिछले शाम ही वहां पहुंचा था। डीपीएस बोकारो के पहले बैच के स्टुडेंट्स के पुनर्मिलन समारोह में शामिल होने।Continue reading “बोकारो बसे मेरे मन में”
The Grammar of my Body: a view
I finished reading ‘The Grammar of my Body’ by Abhishek Anicca last week. And the hangover persists. The hangover of living with him in his world. It’s not the world of a book. But that of a life. The author’s life. The author calls the book ‘The Grammar of my Body’. But I should callContinue reading “The Grammar of my Body: a view”
चाय (महाकाव्य) की महिमा
पिछले सप्ताह मेरे व्हाट्सअप पर एक फोटो आया, जो नीचे संलग्न है। फोटो के नीचे लिखा था: चाय (महाकाव्य) पढ़िये। मेसेज भेजा था हमारे मुहल्ले के Rajiv Ranjan Prasad ने। फोटो को देखकर लगा कि राजीव जी ने अपने यहां मुझे चाय पे बुलाया है। उसी दिन जब वे शाम को मिले तो उन्होंने ‘चायContinue reading “चाय (महाकाव्य) की महिमा”
बहरा गणतंत्र: पाठकों की प्रतिक्रियाएं
नरेश शर्मा मेरे मित्र अरुण जी, पूर्व प्राचार्य डीपीएस, जिन्हे मैं काफी पहले से जानता हूं। प्राचार्य और प्रोफेसर तो मेरे अनेकों मित्र हैं, पर अरुण जी थोड़ा हट कर हैं। उन्होंने एक अंग्रेजी कविता संग्रह, डेफ रिपब्लिक, का हिंदी में अनुवाद किया है। शीर्षक है बहरा गणतंत्र। अमरीकी कवि इल्या कामिंस्की के इस संग्रहContinue reading “बहरा गणतंत्र: पाठकों की प्रतिक्रियाएं”
इल्या कमिन्स्की का काव्य-लोक: प्रेमकुमार मणि
मेरे नए मित्र अरुण जी (अरुण कमल नहीं) ने इल्या कमिन्स्की और उनकी कविताओं के बारे में जब पहली बार बात की थी, तभी से मैं इस कवि के बारे में उत्सुक था। ‘मगध’ के दूसरे अंक में अरुण जी का इस कवि पर लिखा गया एक लेख और उनकी कुछ कविताओं के अनुवाद प्रकाशितContinue reading “इल्या कमिन्स्की का काव्य-लोक: प्रेमकुमार मणि”
… के लिए
खुले आसमान में नृत्य करने के लिएचुम्बन और प्रेम के डर के लिएमेरी बहन, तुम्हारी बहन, हमारी बहनों के लिएसड़ी गली सोच को बदलने के लिएअपनी ग़रीबी पर शर्म करने के लिएएक सामान्य जीवन की चाहत के लिएकूड़े बीनने वाले बच्चों और उनके भविष्य के लिएतुम्हारे थोपे हुए अर्थतंत्र के लिएप्रदूषित हवा के लिएहमारी उनContinue reading “… के लिए”
एक अफगान चींटी
एक अफगान चींटी: रूसी कविता (1983)कवि: Yevgeny Yevtushenkoरूसी से अंग्रेजी: Boris Dralyukअंग्रेजी से हिंदी: Arun Jeeसोवियत अफगान युद्ध के संदर्भ में लिखी गई कविता एक अफगान चींटीएक रूसी जवान अफगान जमीं पर मरा पड़ा थाएक मुस्लिम चींटी उसके खूंटीदार गाल पर चढ़ी—इतनी मुश्किल चढ़ाई — काफी मेहनत के बाद वोसैनिक के चेहरे तक पहुंची, उसेContinue reading “एक अफगान चींटी”
मैया की कहानी, मैया की जुबानी 2
हमलोग चार भाई बहन थे— तीन बहन और एक भाई। तीनो बहनों में मैं सबसे छोटी थी और भाई हम सबसे छोटा। वह मुझसे आठ वर्ष छोटा है। उसके जन्म होने के पहले मैं घर में सबसे छोटी थी, सबकी लाड़ली भी। उस ज़माने में बेटे और बेटियों में बहुत भेद-भाव किया जाता था। वैसेContinue reading “मैया की कहानी, मैया की जुबानी 2”
e e cummings translated in Hindi
1 कौन जाने चाँद कौन जाने चाँद एक विमान हो, जो खूबसूरत लोगों से भरे आसमान के एक सुन्दर से शहर से आये तुम्हें और हमें बिठाकर ले जाए फिर क्या हम उड़ जाएं ऊपर मंदिर, मस्जिद, गिरिजा घरों की अट्टालिकाओं सितारों और घटाओं से भी ऊपर, और ऊपर उड़कर हम पहुंच जाएं उस नैसर्गिकContinue reading “e e cummings translated in Hindi”